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आल्हा छंद वीर रस




आल्हा छंद/वीर रस

भारतीय सांस्कृतिक सनातन, यही विश्व का सर्व महान।
यह अनंत इतिहास पुरातन, प्रिय सर्वोत्तम मानव ज्ञान।
इसके रचनाकार मनीषी, ऋषि मुनियों का  यह विज्ञान।
घोर तपस्या का शुभ फल है, अति मनमोहक वृत्त पुरान।।

यह प्रासंगिक सदा रहेगा, इसका मूल रूप पहचान।
परम हितैषी यह जीवों का, सबमें देखे शिव भगवान।
मानववादी घोर अहिंसक, इसको सच्चाई का भान।।
प्रेम किया करता कण कण से, चींटी हाथी एक समान।।

करुणावादी समतावादी, सहज शांति रस का संज्ञान।
प्रेम परस्पर सत्य प्राथमिक, शिष्टाचार अमित रसखान।
द्वेष भाव को ठोकर मारे, गढ़ता है पावन इंसान।
अधिवक्ता यह नैतिकता का, इसमें स्वाभिमान सम्मान।।

रचनाकार: डॉक्टर रामबली मिश्र
९८३८४५३८०१

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5 Comments

Haaya meer

02-Nov-2022 05:39 PM

Amazing

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Muskan khan

02-Nov-2022 04:59 PM

Superb

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Sachin dev

02-Nov-2022 04:29 PM

Nice 👌

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